रश्मि जी की कविताओं में बहुत ही खूबसूरत बिम्बों और भावों की अनुगूँजें हैं बावजूद ये उतनी ही मौलिक हैं, अपने कहने के अंदाज में भीऔर शब्दों को लय में बांधने में भी । सादी लेकिन दिल से निकली इन पंक्तियों से उनके मनोभाव साफ़ झलकते हैं, जैसे बरसों से बहती किसी स्वच्छ बहती और कलकल करती नदी में मौन बैठे चिकने पत्थर हों। एक गहरा अहसास जो कविता को और उसमें साँस लेते रिश्तों को महक से भर देता है। रश्मि जी कविताऐं हमारे ज़हन में ठीक उसी तरह ठहर जाती है क्योंकि यह ह्रदय की मुक्त साधना है I.
रश्मि जी की कविताओं में बहुत ही खूबसूरत बिम्बों और भावों की अनुगूँजें हैं बावजूद ये उतनी ही मौलिक हैं, अपने कहने के अंदाज में भीऔर शब्दों को लय में बांधने में भी । सादी लेकिन दिल से निकली इन पंक्तियों से उनके मनोभाव साफ़ झलकते हैं, जैसे बरसों से बहती किसी स्वच्छ बहती और कलकल करती नदी में मौन बैठे चिकने पत्थर हों। एक गहरा अहसास जो कविता को और उसमें साँस लेते रिश्तों को महक से भर देता है। रश्मि जी कविताऐं हमारे ज़हन में ठीक उसी तरह ठहर जाती है क्योंकि यह ह्रदय की मुक्त साधना है I.
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